राम भक्त संत और वानर का अनोखा मिलाप

रतलाम & समय सुबह 8.3४ बजे, स्थान - श्री कालिकामाता मंदिर प्रांगण में बना समन्वय धाम, कार्यक्रम - स्वामी सत्यमित्रानंद गिरिजी का संन्यास स्वर्ण जयंती महोत्सव। रामकथा गायक देवमित्रानंद गिरिजी और रामकथा वाचक महंत गोपालदासजी प्रवचन दे रहे थे। अचानक एक वानर दर्शकों के बीच अतिथियों के लिए नियत रास्ते से शांति से चलता हुआ मंच पर पहुंचा। उसे देखकर पहले तो लोग चौंके लेकिन बाद में वानर का धार्मिक स्वभाव देखकर मुग्ध हो गए। यह जंगली बंदर था जो अचानक आया और बाद में चला गया। इस दृश्य को कैमरे में कैद किया फोटो जर्नलिस्ट शाहिद मीर ने।

ऐसे हुआ राम भक्तों का मिलाप
दर्शकों के बीच से चलकर वानर सीधे मंच पर चढ़कर प्रवचन दे रहे स्वामी देवमित्रानंदजी के पास पहुंचा। इससे स्वामीजी एक क्षण को हैरत में रह गए लेकिन वानर का शांत स्वभाव देख प्रवचन देते रहे। एकाएक वानर को आते देख सभी संत-महात्माओं ने मुस्कराते हुए हाथ जोड़कर अभिवादन किया। वानर बिलकुल उनके सामने जाकर बैठ गया। एक हाथ माइक पर रखकर वह इस प्रकार शांत बैठा रहा मानो प्रवचन सुन रहा हो।

आशीष लेकर ही आगे बढ़ा
पंडित अनिरुद्ध मुरारी द्वारा प्रस्तुत श्रीराम जय राम, जय जय राम की धुन सुनने के बाद वह उठकर पुन: स्वामी देवमित्रानंदजी के पास पहुंचा। यहां उसने कभी स्वामी के सिर पर हाथ लगाया तो कभी हाथ पकड़ा। इस तरह उसने कई बार स्वामीजी को स्पर्श किया। मानो वह गले मिलना चाहता हो। उसने अपना सिर स्नेह भाव से स्वामीजी की छाती से लगा दिया। वानर का यह व्यवहार देखकर स्वामीजी ने भी आशीर्वाद दिया।

सिर पर हाथ रखकर दिया आशीर्वाद
इसके बाद वानर भगवान श्रीराम के उपासक बड़ा रामद्वारा के महंत गोपालदासजी के पास पहुंचा। महंतजी के पास पहुंचते ही उसने अपने पैर उनकी गोद में रख दिए। फिर उनका एक हाथ थामा और एक सिर पर रखा मानो आशीर्वाद दे रहा हो। इस दौरान वह अपना मुंह दो बार महंतजी के कानों तक ले गया। ऐसा लगा जैसे उसने महंतजी को कानों में कुछ कहा हो। वानर का आत्मीय व्यवहार देख महंतजी ने भी हाथ जोड़कर आशीर्वाद लिया।

प्रतिमा के समक्ष रखे फूल का सेवन किया
महंतजी के पास से उठकर वानर सीधा उस जगह पहुंचा जहां टेबल पर प्रभु श्रीराम की तस्वीर और पूजा सामग्री रखी थी। सामान्यत: उछलकर चढऩे वाले वानर से जुदा यह आध्यात्मिक वानर पहले हाथ और फिर धीरे से पैर उठाकर टेबल पर चढ़ा। थोड़ी देर तक इधर-उधर देखने के बाद उसने तस्वीर के समक्ष रखी पूजा की थाली से गुलाब के फूल उठाकर खाए। इसके बाद शांत भाव से ही मंच से उतरकर चल दिया।

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